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बी.एड. सेमेस्टर-1 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :215
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2699
आईएसबीएन :0

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बी.एड. सेमेस्टर-1 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य

प्रश्न- व्यक्तित्व के विभिन्न उपागमों या सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।

अथवा
मनोविश्लेषण सिद्धान्त पर टिप्पणी लिखिये।
अथवा
युंग के नव विश्लेषणात्मक सिद्धान्त का वर्णन कीजिये।
अथवा
एरिक्सन के मनोसामाजिक सिद्धान्त का वर्णन कीजिये।
अथवा
सामाजिक अधिगम सिद्धान्त का वर्णन कीजिये।
अथवा
मानवतावादी सिद्धान्त का वर्णन कीजिये।
अथवा
शीलगुण सिद्धान्त का वर्णन कीजिये।
अथवा
व्यक्तित्व के शीलगुण को बताइए।

उत्तर -

फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त
(Freud's Psychoanalytical Theory)

मनोविश्लेषणवाद के संस्थापक डा. सिग्मण्ड फ्रायड (Dr. Sigmond Freud) ने व्यक्तित्व की व्याख्या गहन तथा विस्तृत रूप से की है। यह सिद्धान्त उनके चालीस वर्षों (1900-1940) के शोध अनुभवों पर आधारित है। फ्रायड ने व्यक्तित्व के विकास के लिये व्यक्ति के जीवन के आरम्भिक पाँच वर्षों को अत्यन्त महत्वपूर्ण माना है। उनके अनुसार आरम्भिक पाँच वर्षों में बालक के विकास का सम्पूर्ण ढांचा तैयार हो जाता है और शेष जीवन में वह उस ढांचे को विस्तार ही देता रहता है। फ्रायड ने इस विकास को पाँच भागों में बाँटा है। उनके अनुसार सबसे पहले मुखवर्ती अवस्था में बालक अपना अंगूठा मुख में डाल कर चूसता है और सन्तुष्टि का अनुभव करता है। गुदावस्था में वह मलमूत्र इत्यादि गन्दी वस्तुओं को स्पर्श करता है, खेलता है तथा रोकने पर नाराजगी व्यक्त करता है। लैंगिक अवस्था मे वह लैंगिक अंगों (Sex organs) को स्पर्श करके आनन्द का अनुभव करता है। अव्यक्त अवस्था में उसमें लैंगिक आनन्द की भावनाएँ दब जाती हैं और उसका ध्यान बाहरी वातावरण पर केन्द्रित हो जाता है। अन्तिम अवस्था, जननिक अवस्था में विपरीत लिंगीयों के प्रति उसका आकर्षण बढ़ जाता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि फ्रायड ने लैंगिकता का उपयोग व्यापक अर्थों में किया है।

फ्रायड का मत है कि मनोलैंगिक विकास की विभिन्न अवस्थाओं में बालक को जिस प्रकार के अनुभव होंगे उसी प्रकार का उसका व्यक्तित्व भी विकसित होगा। फ्रायड ने इस प्रकार विकसित होने वाले व्यक्तित्व की संरचना में तीन घटक इद्म (Id), अहम् (Ego) तथा पराअहम (Super ego) का वर्णन किया है। फ्रायड के अनुसार व्यक्तित्व का मूल स्रोत इद्म (Id) ही है जो नवजात शिशु में विद्यमान रहता है। इसी से बाद में अहम् तथा पराअहम् का विकास होता है। इसी में यौन तथा आक्रामकता सहित सभी अन्तर्नोद रहते हैं। इसी में लैंगिक ऊर्जा पायी जाती है जिसे लैंगिक शक्ति (Libio) कहते हैं। अहम् वास्तविकता सिद्धान्त (Reality Principle) का अनुसरण करता है तथा पराअहम सामाजिक मान्यताओं, मूल्यों, आदर्शों तथा प्रचलनों का प्रतिनिधित्व करता है।

नव-मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त
(Neo-Psychoanlytical Theory)

इस सिद्धान्त का प्रतिपादन फ्रायड के शिष्य युंग (Young, 1931) ने किया है। युंग ने फ्रायड द्वारा लैंगिक कारकों पर अधिक बल देने पर आपत्ति करते हुए कहा है कि व्यक्तित्व के विकास के लिए कुछ अन्य मूल प्रवृत्तियाँ भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने व्यक्ति के लक्ष्यों (Goals) एवं आकांक्षाओं (Aspirations) पर अधिक बल दिया है। युंग के अनुसार व्यक्ति के व्यवहार पर व्यक्तिगत अचेतन (Personal unconscious) के अतिरिक्त सामूहिक अचेतन (Collective unconcious) का भी प्रभाव पड़ता है जिसे वह अनुवांशिकता से प्राप्त करता है। इसी में प्रत्येक प्रकार के व्यवहार एवं स्मृतियाँ पायी जाती हैं। सामूहिक अचेतन का निर्माण पीढ़ी दर पीढ़ी के अनुभवों में होता है और यही व्यवहार का निर्देशन करता है। युग के अतिरिक्त अन्य नव मनोविश्लेषणात्मकवादियों ने भी फ्रायड की मूल प्रवत्यात्मक एवं लैंगिक कारकों को अधिक बल देने के कारण आलोचना की है। इस विचार के. समर्थकों में प्रमुख एडलर (Adler 1930), हार्नी (Horney, 1937) फ्राम (Fromm 1941), सुलिवान (Sullian) आदि प्रमुख हैं। इनका विचार है कि व्यक्ति जिस समाज में रहता है उस समाज की विशेषताओं की छाप उसके व्यक्तित्व पर अवश्य पड़ती है। इन्होंने मूल प्रवृत्तियों के बजाय समाज की संस्कृति के प्रभाव पर अधिक बल दिया है। इनका यह भी मानना है कि इदम (Id) की अपेक्षा अहम् (Ego) अधिक महत्वपूर्ण है और इसका विकास स्वतन्त्र रूप से होता है इसका अपना स्वयं का शक्ति स्रोत होता है तथा इसका कार्यक्षेत्र भी व्यापक है।

मनोसामाजिक सिद्धान्त
(Psycho Social Theory)

इस सिद्धान्त के प्रतिपादक एरिक्सन (Erikson, 1963) द्वारा किया गया है। ये भी मूल रूप .से मनोविश्लेषणवादी रहे हैं परन्तु इनका मानना है कि व्यक्तित्व के विकास में जैविक कारकों की अपेक्षा सामाजिक कारकों की भूमिका अधिक महत्वपूर्ण है। बच्चे को अपने जीवन में जिस प्रकार की सामाजिक अनुभूतियाँ होंगी उसी के अनुरूप विकास के प्रतिमान भी प्रदर्शित होंगे। फ्रायड की भांति एरिक्सन का भी मानना है कि विकास की एक अवधि में बालक को जो अनुभव होता है वह आगामी विकास को भी प्रभावित करता है। एरिक्सन ने इदम् (Id) की अपेक्षा अहम (Ego) को अधिक महत्वपूर्ण बताया है। इनकी मान्यता है कि व्यक्ति की वास्तविकताओं को समझकर उसके जीवन को सन्तुलित बनाया जा सकता है। इसके अनुसार बालक का सामाजिक परिवेश उसके व्यक्तित्व के विकास को सर्वाधिक प्रभावित करता है। एरिक्सन ने व्यक्तित्व के विकास को आठ अवस्थाओं में विभाजित किया है।

सामाजिक अधिगम सिद्धान्त.
(Social Learning Theory)

इस सिद्धान्त के प्रतिपादक डालर एवं मिलर (Dollar and Miller, 1941) बण्डुरा (Bandura, 1973) आदि हैं। सामाजिक अधिगम सिद्धान्तवादी व्यक्ति के विकास में सामाजिक अधिगम को अधिक महत्वपूर्ण मानते हैं। उनका सामाजिक अधिगम से तात्पर्य बालक द्वारा अपने परिवेश के साथ घटित होने वाली अन्तः क्रिया द्वारा विभिन्न प्रकार के व्यवहारों के अर्जन से होता है। इस विचारधारा के समर्थकों का मानना है कि व्यक्तित्व व्यक्तिगत कारकों तथा परिस्थितिजन्य कारकों के मध्य होने वाली अन्तः क्रिया का परिणाम है। इसे प्रक्षेणात्मक या अनुकरणात्मक अधिगम भी ' कहते हैं क्योंकि बच्चे प्रारम्भ में अपने माता-पिता तथा थोड़ा बड़ा होने पर अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तियों के व्यवहारों का अनुकरण करते हैं तथा वैसा ही बनना चाहते हैं। इस सिद्धान्त के प्रमुख प्रत्यय नमूना या आदर्श, प्रेक्षण, अनुकरण, ध्यान, धारणा, क्रियात्मक पुनरावृत्ति, अभिप्रेरणा, तादात्मीकरण आदि हैं।

मानवतावादी सिद्धान्त
(Humanistic Theory)

मानवतावादी व्यक्तित्व सिद्धान्त के प्रतिपादक कार्ल रोजर्स (Carl Rogors, 1970) तथा अब्राहम मैस्लो (Abraham Maslow, 1970) हैं। यह सिद्धान्त व्यक्तित्व के विकास में स्व की अवधारणा (Concept of self) एवं व्यक्ति की वैयक्तिक अनुभूतियों (Individual experiences) को ही सर्वाधिक महत्व देता है। इनके अनुसार व्यक्तित्व का विकास इस बात पर निर्भर करता है कि व्यक्ति किस रूप में स्वयं अपने आपको तथा अपनी अनुभूतियों को समझता है और विश्व के बारे में उसके विचार किस प्रकार के हैं। रोजर्स ने व्यक्तित्व की व्याख्या में आत्म या स्व (Self) को सर्वाधिक महत्व दिया है क्योंकि स्व का प्रभाव व्यक्ति के प्रत्यक्षीकरण तथा व्यवहार पर पड़ता है और यही व्यवहार का निर्धारक है। इस सिद्धान्त के दूसरे प्रबल समर्थक मैस्लो ने व्यक्तित्व के समुचित विकास के लिए आत्मसिद्धि (Self-actualization) को सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना है। उनके अनुसार व्यक्ति में पाँच प्रकार की आवश्यकताएँ होती हैं। ये आवश्यकतायें क्रमशः दैहिक, सुरक्षा सम्बन्ध एवं यार, आत्म-प्रतिष्ठा तथा आत्मसिद्धि हैं। इनका विकास क्रमशः होता है। जीवन के आरम्भ में व्यवहार पर दैहिक एवं सुरक्षा की आवश्यकता का प्रभाव अधिक पड़ता है किन्तु आगे चलकर अन्य आवश्यकतायें भी व्यक्तित्व को अधिक प्रभावित करती हैं। आत्मसिद्धि सर्वोच्च आवश्यकता है जिसमें व्यक्ति में विवेक, सहिष्णुता, वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन एवं स्वतन्त्र चिन्तन आदि का विकास होता है। जिसके परिणामस्वरूप स्वस्थ व्यक्तित्व का निर्माण होता है।

शीलगुण सिद्धान्त
(Trait Theories)

शीलगुण सिद्धान्त व्यक्तित्व के विकास के बजाय व्यक्तित्व की विशेषताओं पर अधिक बल देते हैं। इस सिद्धान्त के प्रतिपादकों, आलपोर्ट, एडवर्ड, कैटेल, आइजनेक एवं गार्डन आदि मनोवैज्ञानिकों के अनुसार व्यक्ति की अनुक्रियाएँ तथा उसके व्यवहार उसकी व्यक्तित्व प्रणाली के शीलगुणों द्वारा निर्धारित होते हैं। व्यक्तित्व के वैज्ञानिक अध्ययन में इसी सिद्धान्त का उपयोग सर्वाधिक हुआ है। इसके अन्तर्गत कारक विश्लेषण के आधार पर व्यक्तित्व प्रणाली में पाये जाने वाले अनेक गुणों का पता लगाया गया है। कैटेल के अनुसार कुछ शीलगुण अनुवांशिकता पर निर्भर होते हैं तथा कुछ का विकास- पर्यावरण द्वारा निर्धारित होता है। इसमें प्रथम प्रकार के शीलगुण संरचनात्मक शीलगुण (Constitu- tional traits) दूसरे पर्यावरणीय निर्धारित शीलगुण (Environment mold traits) होते हैं।

इस प्रकार स्पष्ट है कि भिन्न-भिन्न विद्वानों ने व्यक्तित्व के अध्ययन के लिए भिन्न-भिन्न सिद्धान्तों की व्याख्या की हैं। इनमें से कोई भी सिद्धान्त सर्वमान्य नहीं है। यह समस्या आरम्भ से ही बनी हुई है और निकट भविष्य में भी इसके निदान की कोई सम्भावना नहीं दिखाई देती है।

 

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ बताइये एवं इसकी प्रकृति को संक्षेप में स्पष्ट कीजिये।
  2. प्रश्न- मनोविज्ञान और शिक्षा के सम्बन्ध का विवेचन कीजिये और बताइये कि मनोविज्ञान ने शिक्षा सिद्धान्त और व्यवहार में किस प्रकार की क्रान्ति की है?
  3. प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मनोविज्ञान की भूमिका या महत्त्व बताइये।
  4. प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये। शिक्षक प्रशिक्षण में इसकी सम्बद्धता क्या है?
  5. प्रश्न- वृद्धि और विकास से आपका क्या अभिप्राय है? विवेचना कीजिए।
  6. प्रश्न- वृद्धि और विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  7. प्रश्न- वृद्धि और विकास को परिभाषित करें तथा वृद्धि एवं विकास के महत्वपूर्ण सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
  8. प्रश्न- बाल विकास के प्रमुख तत्त्वों का उल्लेख कीजिए।
  9. प्रश्न- विकास से आपका क्या अभिप्राय है? बाल विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन- कौन-सी हैं? विवेचना कीजिए।
  10. प्रश्न- बाल विकास के अध्ययन के महत्त्व को समझाइये।
  11. प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान के प्रमुख उद्देश्यों का उल्लेख कीजिये।
  12. प्रश्न- मनोविज्ञान एवं अधिगमकर्त्ता के सम्बन्ध की विवेचना कीजिये।
  13. प्रश्न- शैक्षिक सिद्धान्त व शैक्षिक प्रक्रिया के लिये शैक्षिक मनोविज्ञान का क्या महत्त्व है?
  14. प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र स्पष्ट कीजिये।
  15. प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान के कार्यों को स्पष्ट कीजिये।
  16. प्रश्न- मनोविज्ञान की विभिन्न परिभाषाओं को स्पष्ट कीजिये।
  17. प्रश्न- वृद्धि का अर्थ एवं प्रकृति स्पष्ट कीजिए।
  18. प्रश्न- अभिवृद्धि तथा विकास से क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिए।
  19. प्रश्न- विकास का क्या अर्थ है? स्पष्ट कीजिए।
  20. प्रश्न- वृद्धि तथा विकास के नियमों का शिक्षा में महत्त्व स्पष्ट कीजिए।
  21. प्रश्न- बालक के सम्बन्ध में विकास की अवधारणा क्या है? समझाइये |
  22. प्रश्न- विकास के सामान्य सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
  23. प्रश्न- अभिवृद्धि एवं विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  24. प्रश्न- बाल विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-कौन सी हैं? उल्लेख कीजिए।
  25. प्रश्न- बाल विकास में वंशानुक्रम का क्या योगदान है?
  26. प्रश्न- शैशवावस्था क्या है? इसकी प्रमुख विशेषतायें बताइये। इस अवस्था में शिक्षा किस प्रकार की होनी चाहिये।
  27. प्रश्न- शैशवावस्था की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
  28. प्रश्न- शैशवावस्था में शिशु को किस प्रकार की शिक्षा दी जानी चाहिये?
  29. प्रश्न- बाल्यावस्था क्या है? बाल्यावस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  30. प्रश्न- बाल्यावस्था में शिक्षा का स्वरूप कैसा होना चाहिए? स्पष्ट कीजिए।
  31. प्रश्न- 'बाल्यावस्था के विकासात्मक कार्यों का उल्लेख कीजिए।
  32. प्रश्न- किशोरावस्था से आप क्या समझते हैं? किशोरावस्था के विकास के सिद्धान्त की. विवेचना कीजिए।
  33. प्रश्न- किशोरावस्था की मुख्य विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  34. प्रश्न- किशोरावस्था में शिक्षा के स्वरूप की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  35. प्रश्न- जीन पियाजे के संज्ञानात्मक विकास के सिद्धान्तों पर प्रकाश डालिए।
  36. प्रश्न- शैशवावस्था की प्रमुख समस्याएँ बताइए।
  37. प्रश्न- जीन पियाजे के विकास की अवस्थाओं के सिद्धांत को समझाइये |
  38. प्रश्न- कोहलर के प्रयोग की विशेषताएँ लिखिए।
  39. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शैक्षिक मनोविज्ञान एवं मानव विकास)
  40. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (मानव वृद्धि एवं विकास )
  41. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (व्यक्तिगत भिन्नता )
  42. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शैशवावस्था, बाल्यावस्था एवं किशोरावस्था )
  43. प्रश्न- सीखने की संकल्पना को समझाइए। 'सूझ' सीखने में किस प्रकार सहायता करती है?
  44. प्रश्न- अधिगम की प्रकृति को समझाइए।
  45. प्रश्न- सीखने की प्रक्रिया से आप क्या समझते हैं?
  46. प्रश्न- सूझ सीखने में किस प्रकार सहायता करती है?
  47. प्रश्न- 'प्रयत्न एवं त्रुटि' तथा 'सूझ' द्वारा सीखने में भेद कीजिए।
  48. प्रश्न- अधिगम से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  49. प्रश्न- अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक बताइए।
  50. प्रश्न- थार्नडाइक के सीखने के प्रयोग का उल्लेख कीजिए और बताइये कि इस प्रयोग द्वारा निकाले गये निष्कर्ष, शिक्षण कार्य को कहाँ तक सहायता पहुँचाते हैं?
  51. प्रश्न- थार्नडाइक के सीखने के सिद्धान्त के प्रयोग का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- थार्नडाइक के सीखने के सिद्धान्त का शिक्षा में उपयोग बताइये।
  53. प्रश्न- शिक्षण में प्रयत्न तथा भूल द्वारा सीखने के सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिये।
  54. प्रश्न- 'अनुबन्धन' से क्या अभिप्राय है? पावलॉव के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया को नियंत्रित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?
  56. प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं?
  57. प्रश्न- अनुकूलित अनुक्रिया से आप क्या समझते हैं? इस सिद्धान्त का शिक्षा में प्रयोग बताइये।
  58. प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
  59. प्रश्न- स्किनर का सक्रिय अनुकूलित-अनुक्रिया सिद्धान्त क्या है? उल्लेख कीजिए।
  60. प्रश्न- स्किनर के सक्रिय अनुकूलित-अनुक्रिया सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  61. प्रश्न- पुनर्बलन का क्या अर्थ है? इसके प्रकार बताइये।
  62. प्रश्न- पुनर्बलन की सारणियाँ वर्गीकृत कीजिए।
  63. प्रश्न- सक्रिय अनुकूलित-अनुक्रिया. सिद्धान्त अथवा पुर्नबलन का शिक्षा में प्रयोग बताइये।
  64. प्रश्न- अधिगम के गेस्टाल्ट सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए और इस सिद्धान्त के सबल तथा दुर्बल पक्ष की विवेचना कीजिए।
  65. प्रश्न- समग्राकृति पूर्णकारवाद की विशेषतायें बताइये।
  66. प्रश्न- कोहलर के प्रयोग की विशेषताएँ लिखिए।
  67. प्रश्न- अन्तर्दृष्टि तथा सूझ के सिद्धान्त से सीखने की क्या विशेषताएँ हैं।
  68. प्रश्न- पूर्णकारवाद के नियम को स्पष्ट कीजिए।
  69. प्रश्न- अन्तर्दृष्टि को प्रभावित करने वाले कारक एवं शिक्षा में प्रयोग बताइये।'
  70. प्रश्न- अन्तर्दृष्टि सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  71. प्रश्न- रॉबर्ट मिल्स गेग्ने का जीवन-परिचय दीजिए तथा इनके द्वारा बताये गये सिद्धान्त का सविस्तार वर्णन कीजिए।
  72. प्रश्न- गेग्ने के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- गेग्ने के योगदान को संक्षेप में बताइये।
  74. प्रश्न- विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर अभिप्रेरणा का अर्थ स्पष्ट करते हुए अभिप्रेरणा के प्रकारों का वर्णन कीजिए।।
  75. प्रश्न- अभिप्रेरणा के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- अभिप्रेरणा को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक कौन-से हैं? उल्लेख कीजिये।
  77. प्रश्न- अभिप्रेरणा का क्या महत्त्व है? अभिप्रेरणा के विभिन्न सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
  78. प्रश्न- अभिप्रेरणा के विभिन्न सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
  79. प्रश्न- अभिप्रेरणा का मूल प्रवृत्ति सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  80. प्रश्न- अभिप्रेरणा का मूल मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  81. प्रश्न- अभिप्रेरणा का उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धान्त को समझाइये |
  82. प्रश्न- शैक्षिक दृष्टि से अभिप्रेरणा का क्या महत्त्व है?
  83. प्रश्न- आवश्यकता चालन एवं उद्दीपन के सम्बन्ध की व्याख्या कीजिए।
  84. प्रश्न- कक्षा शिक्षण में पुरस्कार या प्रोत्साहन की क्या आवश्यकता है?
  85. प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण क्या है? अधिगम स्थानान्तरण के प्रकार बताइये।
  86. प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण के प्रकार बताइए।
  87. प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण से क्या तात्पर्य है? अधिगम स्थानान्तरण को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना कीजिए।
  88. प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण की दशाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  89. प्रश्न- अधिगमान्तरण के विभिन्न सिद्धान्तों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  90. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (अधिगम )
  91. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (अभिप्रेरणा )
  92. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (अधिगम का स्थानान्तरण )
  93. प्रश्न- विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर बुद्धि का अर्थ स्पष्ट करते हुये बुद्धि की प्रकृति या स्वरूप तथा उसकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिये।
  94. प्रश्न- बुद्धि की प्रकृति एवं स्वरूप का वर्णन कीजिए।
  95. प्रश्न- बुद्धि की विशेषताओं को समझाइये।
  96. प्रश्न- बुद्धि परीक्षा के विभिन्न प्रकार कौन-से हैं? वैयक्तिक व सामूहिक बुद्धि परीक्षा की तुलना कीजिये।
  97. प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं?
  98. प्रश्न- शाब्दिक व अशाब्दिक तथा उपलब्धि परीक्षण को स्पष्ट कीजिये।
  99. प्रश्न- वाचिक अथवा अवाचिक वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण से क्या अभिप्राय है? उल्लेख कीजिये।
  100. प्रश्न- स्टैनफोर्ड बिने क्या है?
  101. प्रश्न- बर्ट द्वारा संशोधित बुद्धि परीक्षण को बताइये।
  102. प्रश्न- अवाचिक वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण के प्रकार बताइये।
  103. प्रश्न- वाचिक सामूहिक बुद्धि परीक्षण कौन-से हैं?
  104. प्रश्न- अवाचिक सामूहिक बुद्धि परीक्षणों का वर्णन कीजिये।
  105. प्रश्न- बुद्धि के प्रमुख सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
  106. प्रश्न- सृजनात्मकता से क्या तात्पर्य है? इसके स्वरूप तथा प्रकृति की विवेचना कीजिए।
  107. प्रश्न- सृजनात्मक की परिभाषाएँ बताइए।
  108. प्रश्न- सृजनात्मकता के स्वरूप बताइए।
  109. प्रश्न- सृजनात्मकता से आप क्या समझते हैं? अपने शिक्षण को अधिक सृजनशील बनाने हेतु आप क्या करेंगे? विवेचना कीजिए।
  110. प्रश्न- सृजनात्मकता की परिभाषा दीजिए तथा सृजनात्मक छात्रों का पता लगाने की विधि स्पष्ट कीजिए।
  111. प्रश्न- सृजनात्मकता एवं समस्या समाधान पर टिप्पणी लिखिए।
  112. प्रश्न- कक्षा वातावरण किस प्रकार विद्यार्थियों की सृजनात्मकता के विकास को प्रभावित करता है? सृजनात्मकता को विकसित करने हेतु आप ब्रेनस्टार्मिंग का प्रयोग कैसे करेंगे?
  113. प्रश्न- गिलफोर्ड के त्रिआयामी बुद्धि सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  114. प्रश्न- समूह कारक या संघसत्तात्मक सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
  115. प्रश्न- बुद्धि के बहु-प्रकारीय सिद्धान्त की संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
  116. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (बुद्धि एवं सृजनात्मकता )
  117. प्रश्न- व्यक्तित्व क्या है? उनका निर्धारण कैसे होता है? व्यक्तित्व की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  118. प्रश्न- व्यक्तित्व के लक्षणों की स्पष्ट व्याख्या कीजिए।
  119. प्रश्न- व्यक्तित्व के विकास को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक कौन-कौन हैं?
  120. प्रश्न- व्यक्तित्व के जैविक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
  121. प्रश्न- व्यक्तित्व के विभिन्न उपागमों या सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
  122. प्रश्न- समूह चर्चा से आपका क्या अभिप्राय है? समूह चर्चा के उद्देश्य एवं मान्यताएँ स्पष्ट कीजिए।
  123. प्रश्न- व्यक्तित्व मूल्यांकन की प्रश्नावली विधि को समझाइए।
  124. प्रश्न- व्यक्तित्वं मूल्यांकन की अवलोकन विधि से आप क्या समझते हैं?
  125. प्रश्न- मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ बताइए तथा छात्रों की मानसिक अस्वस्थता के क्या कारण हैं? शिक्षक उन्हें दूर करने में उनकी सहायता कैसे कर सकता है?
  126. प्रश्न- बालकों के मानसिक अस्वस्थता के क्या कारण हैं?
  127. प्रश्न- बालकों के मानसिक स्वास्थ्य में उन्नति के उपाय बताइये।
  128. प्रश्न- मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान के विचार को स्पष्ट कीजिए। विद्यालय की परिस्थितियाँ शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को किस प्रकार प्रभावित करती हैं?
  129. प्रश्न- विद्यालय की परिस्थितियाँ शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को किस प्रकार प्रभावित करती हैं?
  130. प्रश्न- मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ स्पष्ट कीजिए। मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति में कौन-सी विशेषता होती है?
  131. प्रश्न- मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति में कौन-कौन-सी विशेषताएँ होती हैं?
  132. प्रश्न- मानसिक स्वास्थ्य के उपायों पर प्रकाश डालिए।
  133. प्रश्न- कौन-कौन से कारक मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं और शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा रखने के उपाय बताइए।
  134. प्रश्न- शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखने के उपाय बताइये।
  135. प्रश्न- मानसिक स्वास्थ्य के प्रमुख तत्व बताइये।
  136. प्रश्न- शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को उन्नत करने वाले प्रमुख कारक कौन-से हैं?
  137. प्रश्न- मानसिक स्वास्थ्य का महत्व बताइये।
  138. प्रश्न- बालक के मानसिक स्वास्थ्य के विकास में विद्यालय की क्या भूमिका होती है?
  139. प्रश्न- बालक के मानसिक स्वास्थ्य में उसके कुटम्ब का क्या योगदान है?-
  140. प्रश्न- मानसिक स्वास्थ्य के नियमों की विवेचना कीजिए।
  141. प्रश्न- मानसिक स्वच्छता क्या है?
  142. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (व्यक्तित्व )
  143. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (मानसिक स्वास्थ्य)

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